Wednesday, April 16, 2008

मैं शायर तो नहीं...

अर्ज़ किया है ...
आपकी मुस्कुराहट ने हमे बेहोश कर दिया
आपकी मुस्कुराहट ने हमे बेहोश कर दिया
हम होश में आने ही वाले थे
की अपने फ़िर से मुस्कुरा दिया
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कोई पत्थर से न मारो मेरे दीवाने को
बंदूक और बम का ज़माना है
उड़ा दो साले को :-)
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वक्त गुज़रता रहा, पर साँसे थमी सी थी
मुस्कुरा रहे थे हम, पर आंखों में नमी सी थी
साथ हमारे ये जहाँ था सारा, पर न जाने क्यों
तुम्हारी कमी सी थी
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तुम्हारी इस अदा का क्या जवाब दूँ ,
अपने दोस्त को क्या उपहार दूँ ,
कोई अच्छा सा फूल होता तो,
माली से ले आते
जो ख़ुद गुलाब हो उसको क्या गुलाब दे !
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तुम बनके दोस्त एसे आए ज़िंदगी में
के हम ये ज़माना भूल गए
तुम्हे याद न आए हमारी कभी, और हम!
हम तो तुम्हे भूलना ही भूल गए

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ज़िंदगी में हमेशा नए लोग आएंगे
कहीं पे ज़्यादा तो कहीं पे कम मिलेंगे
एतबार ज़रा सोच के करना
मुमकिन नहीं हर जगह तुम्हे
हम मिलेंगे :-)

4 comments:

Mark IV S'nathan said...

waaww re waaww... kya bath hai..

ennamo yezhudirkeengha ana enna yezhudirkeenghanu dhan puriyalai... :(

Sanjana said...

hehehhe... glad u enjoyed it.. :-p
ellam SMS la vandha kavithai
will try to send u a translation sometime :-)

Mark IV S'nathan said...

arey mail me ur mobile number... vikramhere@gmail.com

RS said...

Wah wah! been a loong time since i had heard such snippets! :-) Keep posting them...